दोस्तों आज हम एक ऐसी लड़की के बारे में बात करने वाले हैं जो कि बचपन से ही बहरी और अंधी थी लेकिन तब भी उसने हार नहीं मानी और वह दुनिया की सबसे पहली ग्रेजुएटेड अंधी और बहरी लड़की बनी तो आज हम बात करने वाले है हेलेन केलर के बारे में जो कि दुनिया की सबसे पहली अंधी और बहरी ग्रेजुएटेड लड़की थी।
हेलेन केलर के बारे में थोड़ी जानकारी।
हेलेन केलर बचपन से ही अंधी और बहरी थी क्योंकि वह बहरी थी इस वजह से वह बोलना भी नहीं सीख पाई और इस वजह से उसके माता-पिता बहुत चिंतित थे तभी उनको मिस सुलिवान मिली जोकि बेहरो और अंधों के टीचर थी उन्होंने हेलन केलर की जिंदगी ही बदल डाली नीचे के शब्द जो हेलेन केलर ने अपने मुंह से कहे थे।
मुझे आज भी वह 1887 कि सुबह याद है जब मैं सिर्फ 7 साल की थी मेरे टीचर अन्ने सुलीवान उस दिन मेरे घर आए थे दूसरे दिन वह मुझे उनके रूम में ले गए और एक गुड़िया मुझे दी मैं इसके साथ थोड़ी देर खेली और उसके बाद मिस सूलीवान ने मेरी हथेली पर कुछ उंगलियों का हलन चलन किया वह एक अद्भुत अनुभव था मुझे उस में बहुत मजा आने लगा और उसके बाद मैंने तुरंत ही वह हलन चलन का खेल खेलना चालू कर दिया मिस सूलीवान उनकी उंगलियों से मेरे हथेली पर हलन चलन किया करते थे जब मैंने उसमें सिद्धि प्राप्त की तब मैं अच्छे से करने लगी वह रोमांचक था इसके पहले में डॉल का स्पेलिंग नहीं जानती थी लेकिन मिस सुलीवान ने मुझे उसका स्पेलिंग सिखाया।
थोड़े दिन बाद हम बगीचे में चल रहे थे और अचानक मेरे टीचर ने मेरा हाथ एक पानी के नल के नीचे रखा ठंडे पानी का प्रवाह मेरे हाथ पर से दौड़ रहा था और मेरे हाथ की दूसरी हथेली पर मेरे टीचर ने वाटर का स्पेलिंग लिखा हम यह गेम हर रोज खेला करते थे वह मुझे अलग-अलग चीजों को छूने को कहती थी और फिर उस चीज का स्पेलिंग मेरे दूसरे हाथ पर लिखती थी यह मेरी आत्मा को शांति देती थी और उसके बाद मुझे पता चला कि हर चीज के पास एक नाम होता है अब यह नाम मेरे विचारों को जन्म देते थे अब मैं यह सभी शब्दों के साथ दुनिया के साथ जुड़ चुकी थी मिस सुलिवान मुझे हर रोज सुबह एक लंबे सफर पर चलने ले जाती थी मेरे पास बहुत सारे प्रश्न होते थे पूछने के लिए मैं उनके हाथ में कुछ लिखती थी और फिर वह उसका जवाब मेरे हाथ में लिखा करते थे ऐसे ही हम एक दूसरे के साथ बात करा करते थे। यह तो मेरी पढाई का पहला पड़ाव था।
हेलेन केलर की पढाई का दूसरा पड़ाव।
मेरी पढ़ाई का दूसरा पड़ाव तो और भी मुश्किल था यह मेरी छूने की शक्ति पर आधारित था मिस सुलेवान एक शब्द बोलते थे और मुझे उनके होठों को छूने को बोलते थे और फिर शांति से सोचने को कहा करते थे मैं होठों के हलन चलन की मदद से बोलना सीखी और गले की वाइब्रेशन से भी जब मैं मेरा पहला शब्द बोली उसने मुझे बहुत ही ज्यादा खुशी दी अब मैं बोलना चालू कर चुकी थी मैं अपने खिलौने, पत्थर, पेड़ और पक्षियों के साथ बगीचे में बाते किया करती थी अब मैं बोलने के काबिल हो चुकी थी यह एक जादू से कम नहीं था।
जब मैं गंभीरता से पढ़ती थी यह एक खेल से बहुत मिलता जुलता था इन सब में मुझे बहुत मजा आता है था मिस सुलेमान मुझे एक छोटी सी बच्ची बनकर मेरे साथ बात करके करके पटाया करती थी वह गणित विज्ञान जैसे विषयों को बहुत ही मजेदार बनाकर मुझे पढ़ाया करती थी इस वजह से मुझे सारी चीजें याद रह जाती थी।
अब आखिरकार मेरे टीचर ने मुझे पढ़ना सिखाना चालू किया मैंने अपना पहला शब्द ब्रेईल लिपि में पढ़ा था मैंने लिखना सिखा ब्रेईल लिपि में मैं टाइपराइटर के जैसे लिखती थी मैं अपने मार्ग में एक अच्छी पढ़ी लिखी इंसान थी मैंने मेरी योग्यताओ को बढ़ाने के लिए वो सब कुछ किया जो मुझे करना चाहिए था और मैंने उन सब का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल भी किया मैंने मेरा आत्मविस्वास बढाया और मैं व्हाइट हाउस में प्रेसिडेंट को भी मिलने जा पाई 1890 में मैं जब 10 साल की थी मैं पर्किंस इंस्टिट्यूशन में चली गई इधर भी मेरे टीचर अन्ने सुल्लीवन ने मुझे पढ़ाना जारी रखा मैंने यहां पर मेरे जैसे अंधे बच्चों को दोस्त बनाया मेरा अकेलापन अब दूर होने लगा था और मेरा पढ़ने में भी ज्ञान बढ़ने लगा था मैंने लेटीन, जर्मन और अरिथमेटिक सिखा।
1896 में मैं कैम्ब्रिज स्कूल ऑफ यंग लेडीज मेसाचुसेट्स में चली गई यह असल में बहुत बड़ी सीद्धि थी मेरे जैसी लड़की के लिए जो कि अंधी थी बहरी थी और बातचीत के लिए भी मुश्किल से आवाज निकाल पाती थी मैंने कहानियां और कविता लिखना चालू किया मेरे परीक्षा के थोड़े समय बाद ही मैंने मेरे पिता को खो दिया इस वजह से मैं बहुत ही उदास हो चुकी थी मैं अपने परीक्षा में मेरा अच्छा प्रयास नहीं कर पाई मेरे टीचर मुझे परीक्षा के हॉल में मुझे साथ नहीं दे सकते थे उधर दूसरे टीचर मेरे हाथ में प्रश्न लिखते थे और मैं उनका जवाब लिखती थी जब परीक्षा का परिणाम आया तब मैं बहुत खुश हुई क्योंकि मैंने सुना कि मैं सभी विषयो में पास हो चुकी हूं।
हेलेन केलर का अन्धो और बेहरो के बारे में विचार।
28 जून 1904 को मैंने रेडक्लिफ कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की मुझे गर्व महसूस होता है कि मैं कला स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली पहली बहरी नेत्रहीन व्यक्ति बन गयी, मुझे लगा कि मुझे अंधे लोगों की मदद करने के लिए इन लोगों को मुझे शिक्षित करना चाहिए मेरे जीवन में मेरा मुख्य लक्ष्य था अंधों की उपेक्षित अवस्था के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उनकी जन्मजात क्षमताओं और उनकी प्रेरणाओं के लिए मुझे न केवल अपने लिए जीवन यापन करने के लिए धन जुटाना पड़ा, बल्कि अन्य नेत्रहीन लोगों के जीवन से अंधेरे और रहस्यों को दूर करने के लिए परियोजनाओं को शुरू करने के लिए भी मैंने दृढ़ता से महसूस किया कि मुझे अपने शिक्षक अन्ने से जो कुछ मिला है, वह दूसरों को देना चाहिए।
हेलेन केलर के लिए मिस सिलिवान का बलिदान।
फिर मेरे जीवन में एक दुख आया, मुझे इस बात की गहरी चिंता थी कि मेरे शिक्षक की आँखें दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थीं परिणामस्वरूप वह स्पष्ट रूप से नहीं देख पा रही थी कि वह अपनी समस्या से लड़ने के लिए पर्याप्त बहादुर थी लेकिन मुझे खेद है क्योंकि उन्होंने उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दिया उनकी आँखों के बजाय उन्होंने मेरी मदद करना जारी रखा।
अंत में मेरे शिक्षकने अपनी आँखें पूरी तरह से खो दीं और वर्ष 1935 तक अंधे हो गए, उन्होंने मेरे लिए अपनी आँखों का बलिदान कर दिया, यह कितना बड़ा बलिदान था अगर उन्होंने मुझे सीखने के लिए समर्थन और प्रोत्साहित नहीं किया होता तो मैं इस दुन्या की सुंदरता का आनंद नहीं ले पाती जो मैं सोच भी नहीं सकती उसके अलावा मेरा दिल हमेशा बोलता है में आपको चाहती हु टीचर।
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